चपचार कुट फेस्टिवल 2022, मिजोरम का लोक नृत्य किस दिन किया जाता है, जाने सब कुछ…

चपचार कुट फेस्टिवल 2022 मिज़ोरम, भारत का एक त्योहार है। यह मार्च के दौरान झूम कृषि के सबसे कठिन कार्य के पूरा होने के बाद मनाया जाता है। यह एक वसंत त्योहार है जिसे बहुत श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

Chapchar Kut Festival 2022: चपचार कुट त्योहार 2022 – 4 मार्च (शुक्रवार)

चपचार कुट फेस्टिवल 2022: अगर आपको भीड़ आकर्षित करने वाले कार्यक्रम पसंद है, फिर तो आपको यहां जाने के बारे में जरूर सोचना चाहिए। मिजोरम भारत के उत्तर-पूर्वी भागों में बसा एक खुबसुरत राज्य है जो अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। मिजोरम के त्योहार, भव्य और खुशियों से भरे होते है। यहां त्यौहारो को बड़े धूमधाम से मनाया जाता हैं। वैसे तो, मिजोरम में काफी सारे त्यौहार मनाए जाते है लेकिन चपचार कुट उनमें से प्रमुख त्यौहार है। यहां के लोगों की जिंदगी कृषि आधारित हैं, इसलिए कृषि से जुड़े इस त्योहार को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

पहाड़ों के बीच बसे इस राज्य की खूबसूरती देखते ही बनती है। मिज़ोरम का मतलब होता है ‘पहाड़ों की भूमि’ और यहां की स्थानीय भाषा ‘मिज़ो’ है। मिजोरम की तरह ही मिजोरम के त्योहार भव्य व खुशियों से भरे होते है साथ में मिजोरम की सांस्कृतिक विरासत को प्रस्तुत करते है। यहां त्यौहारों को बडे उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इन त्यौहारो में यहा की वेषभूषा, पारंपरिक नृत्य और समारोह इनका प्रमुख हिस्सा होते हैं। मिजोरम के लोगो की जिंदगी में कृषि महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए मिजोरम के लगभग सभी त्यौहार कृषि पर केंद्रित है। जो बुवाई, कटाई और मौसमी चक्र आदि अवसरो पर मनाए जाते है। मिज़ो के सांस्कृतिक जीवन में नृत्य और संगीत मूल तत्त्व हैं। यहाँ के त्योहारों में ईसाई धर्म के पर्व और स्थानीय कृषि त्योहार (मिज़ो में पर्व को कुट कहते हैं), जैसे चपचार कुट, पाल कुट और मिमकुट प्रमुख है। मिज़ो तथा अंग्रेजी यहाँ की प्रमुख व राजकीय भाषाएँ हैं। अपनी लिपि न होने के कारण मिज़ो भाषा के लिए रोमन लिपि का उपयोग होता है। ‘मिज़ो’ शब्द की उत्पत्ति के बारे में ठीक से ज्ञात नहीं है फिर भी 19 वीं शताब्दी में यहाँ ब्रिटिश मिशनरियों का प्रभाव फैल गया जिसके कारण यहां अधिक समय तक ईसाई धर्म रहा। इसलिए अधिकांश मिज़ो नागरिक ईसाई धर्म को ही मानते हैं। मिजोरम के लोग कृषि प्रधान है और इसी कृषि से जुड़ा त्योहार चपचार कुट बड़ी धूमधाम के साथ मनाते है। चपचार कुट का त्योहार बसंत ऋतु का त्योहार है और यह बुवाई के मौसम की शुरूआत से पहले की तैयारी के समय मनाया जाता है। इस समय बांस के पेड़-पौधे सूख जाते हैं और जमीन अगली खेती के लिए खाली हो जाती है। चपचार कुट आमतौर पर मार्च के महिने में आता है। इस त्योहार को यहां बडे उत्साह के साथ मनाया जाता है।

क्या है चपचार कुट त्योहार (Chapchar Kut Festival 2022)

चपचार कुट उत्सव पर किसान मौसमी खेती के लिए जगह बनाने के लिए बांस के जंगल काट दिया करते हैं। इस मौसम में वे जलाए जाने से पहले कटे हुए बांस के ढेर को सूरज के नीचे सूखने के लिए रखते हैं जिसे चपचार कहा जाता है और कुट मतलब त्योहार होता है, क्योंकि किसानों को इस मौसम के दौरान कुछ और नहीं करना होता है तो वह इसे उत्सव के रुप में मनाते हैं। राज्य में तीन त्योहार यानि कुट मनाए जाते हैं- चपचर कुट, मीम कुट और पाल कुट। सभी तीनों त्यौहार कृषि गतिविधियों से जुड़े हुए हैं। उत्सवों और पारंपरिक नृत्यों के साथ वसंत के आगमन को चिह्नित करने के लिए यह त्यौहार मनाए जाते हैं। चपचार कुट का यह त्यौहार कुट पुईपेट या उद्घाटन समारोह के साथ शुरू होता है जिसके बाद खेतों को तत्कालीन कटना होता है, जिसके फलस्वरुप मिजोरम वासी स्थानिय नृत्य करते हैं। एक बार जब हनीना शुरू हो जाती है तो समाज के बुजुर्ग सदस्य अपने पारंपरिक परिधानों को पहनना शरु कर देते हैं। इस त्योहार में लोग मोती और तोतों के पंखों से बने रंगीन पारंपरिक वस्त्र और टोपी पहनते हैं। इस त्योहार में वे किसी भी तरह के जूते नहीं पहनते हैं। एक पारंपरिक बांस नृत्य भी करते हैं जहां पुरुष जमीन पर बैठते हैं और एक-दूसरे के खिलाफ बांस को घूमाते हैं। मिजोरम वासी अपने पांरपरिक नृत्य के साथ कुट रोर नामक एक शानदार जुलूस में भाग लेते हैं। इसके बाद विभिन्न जनजातीय नृत्य किए जाते हैं। जिनमें चेरो या बांस नृत्य सबसे महत्वपूर्ण है। यह समारोह थुम्मा के साथ समाप्त होता है जहां स्थानीय गायक एक बार फिर से पारंपरिक वेशभूषा धारण कर भीड़ में सम्मलित होते हैं। चपचार कुट मार्च के महीने में मनाया जाता है। जब प्रकृति में रंगों की शुरुआत होती है पूरा वातावरण हरा भरा हो जाता है। यह त्योहार वसंत की शुरुआत को चिह्नित करता है। चपचार कूट का त्योहार मिजोरम वासियों के लिए ढेर सारी खुशियां लेकर आता है। यह त्योहार मिजोरम के सबसे पुराने त्यौहारों में से एक है। चपचार कुट सभी मिजोरम गांवों में मनाया जाता है। मिजो समाज में लिए यह महत्वपूर्ण सांस्कृतिक त्योहार और पंरपरा है। इस त्योहार के दिन मिजोरम में राजकीय अवकाश भी घोषित किया जाता है।

परिधानों का जुलूस और मीज़ो लोगों के कई पारम्परिक खेल भी इस त्यौहार का हिस्सा होते हैं। बीते सालों में इस त्यौहार की वजह से कई घरेलू औरविदेशी पर्यटक उत्तर पूर्व के इस राज्य की और आकर्षित हुए हैं । इस तरह के त्योहारों से न सिर्फ मिजोरम की पुरानी परम्पराएं जीवित हो उठी हैं बल्कि इसके ज़रिये इन परम्पराओं को आज की पीढ़ी से भी रूबरू कराने में मदद मिली है।

चापचार कुट पर्व का महत्व (Chapchar Kut Festival 2022 importent)

राज्य के कला और संस्कृति मंत्री ने समारोह के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘इस बार पर्व को राज्य से बाहर और विदेश में रह रहे ‘मिज़ो लोगों की एकता’ के महत्व के लिए मनाया जा रहे हैं। हालांकि भौगोलिक सीमाओं की वजह से हमारे बीच भाषा और व्यवहार में अंतर लाया हैं लेकिन ये मिज़ो लोगों की संस्कृति को और समर्द्ध बनाती हैं।’ सलाह देते हुए कहा कि पर्व को भाईचारे और एकता के तौर पर मनाया जाना चाहिए हैं। यह एकता मिज़ो लोगों के विकास के लिए अति महत्वपूर्ण हैं। हर महान देश उन लोगों से बनता हैं जो अपनी संस्कृति को उन्न्त करते हैं। हमे विनम्रता की मिज़ो भावना को और मजबूत करना चाहिए। आइज़ोल में चापचार कुट पर्व के समारोह में म्यांमार के सीमावर्ती कस्बों फलम, तहन और तेदिम, आसाम, मेघालय, मणिपुर और बांग्लादेश से आए कई प्रतिनिधि उपस्थित हुए।

List of Monthly Holidays 2022 | Month Wise Government Holidays in 2022

Holidays in January 2022Holidays in February 2022Holidays in March 2022Holidays in April 2022
Holidays in May 2022Holidays in June 2022Holidays in July 2022Holidays in August 2022
Holidays in September 2022Holidays in October 2022Holidays in November 2022Holidays in December 2022

चापचार कुट पर्व और इसका इतिहास (Chapchar Kut Festival 2022 histry)

चापचार कुट का साहित्यक अर्थ, ‘सर्दियों के बाद पहाड़ियों में जंगल को जला कर झुमिंग खेती के लिए तैयार करने के बाद मॉनसून के आने के इंतजार में यह पर्व मनाया जाता हैं। चापचार का मतलब झुमिंग खेती के लिए जंगल को जला कर साफ करने का कार्य और कुट का मतलब पर्व या समारोह। ऐसा माना जाता है कि चापचार कुट को मनाने की शुरुआत 1450 और 1600 वीं शताब्दी के बीच हुई थी। पुराने दिनों में यह पर्व तीन दिनों से अधिक अवधि के लिए मनाया जाता था। इस पर्व में संस्कृति का प्रदर्शन जैसे संगीत, नृत्य, गान और खेलकुद जैसी गतिविधियों को शामिल किया जाता है।

 मिजोरम में मीमकूत त्यौहार अगस्त महीने में मानते हैं

मिजोरम में मनाये जाने वाले कुछ और त्योहारों की बात करें तो इनमे मीमकूत त्यौहार जिसे मक्के की खेती के बाद जुलाई या अगस्त महीने में मनाया जाता है। इस त्यौहार को भी मिज़ो लोग काफी उत्साह से मनाते है और नाचते गाते हैं। दूसरा एक अन्य त्यौहार है पालकूत जिसे दिसंबर के आखिरी हफ्ते में मनाया जाता है। पालकूत त्यौहार के पीछे मान्यता ये है कि नई फसल के घर आने और साल भर ईश्वर की कृपा से बेहतर जीवन की प्रार्थना में ये फेस्टिवल मनाया जाता है। इसके अलावा ये त्यौहार भूसे की कटाई से भी जुड़ा हुआ है।

चपचार कुट के प्रमुख आकर्षण  (Chapchar Kut)

इस अवसर पर मिजोरम के स्थानीय निवासी अपने रंगीन पारंपरिक वेशभूषा में, गीत गाते हुए एक-दूसरे के हाथ पकड़े नाचते हुए मिलेंगे। यहां का पारंपरिक नृत्य सिर्फ राज्य तक ही सीमित नहीं है बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लोकप्रिय काफी है। यह त्योहार मिजोरम के लोगों के लिए ढ़ेर सारी खुशियां लेकर आता है। आप भी मार्च के महीने में होने वाले इस मस्ती भरे पल में शामिल हो सकते हैं। यह त्योहार मिजोरम में सबसे पुराने त्यौहारों में से एक हैं, जिनमें कई पारंपरिक नृत्यों के साथ-साथ तरह तरह के खेल-कूद का भी आनंद ले सकते हैं।

 त्योहार की मुख्य विशेषताएं (Chapchar Kut Festival 2022)

  • चापचर कुट मिज़ोस का सबसे बड़ा और सबसे खुशी का त्योहार है।
  • प्री-फेस्टिवल 5 मार्च को आयोजित किया गया था और इसे कला और संस्कृति मंत्री द्वारा कुट पा (अर्थ – फेस्टिवल के पिता के रूप में देखा गया)
  • 6 मार्च को भव्य उत्सव मनाया जाता है। यह मिजोरम के मुख्यमंत्री द्वारा अनुग्रहित किया गया था।
  • चापचर कुट त्योहार का विषय मिज़ोस संस्कृति और नैतिक कोड है।
  • यह त्योहार राज्य के लोगों के लिए सबसे लोकप्रिय वसंत त्योहार माना जाता है।
  • त्योहार सभी को अच्छी आत्माओं में रखने के लिए बहुत सारे नृत्य और संगीत के साथ चमकता है।
  • फेस्टिवल के दौरान आयोजित होने वाले मनोरंजक और मनोरंजक कार्यक्रमों में कई लोगों ने भाग लिया।
  • पारंपरिक बांस नृत्य चेराव, सरलामकाई, खुल्लम, और अन्य नृत्य हजारों लोगों को आकर्षित करने के लिए त्योहार में किए गए थे।
  • फेस्टिवल में आइज़ॉल में अलग-अलग जगहों पर पेंटिंग, फोटो, हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट की प्रदर्शनी लगाई जाएगी।

प्रतिभागियों: महोत्सव में बांग्लादेश, भूटान, थाईलैंड, म्यांमार, कोरिया, जापान, नेपाल, चीन, अमेरिका, इजरायल और दुनिया के विभिन्न हिस्सों से मिजो के विभिन्न जनजातियों के नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है।

चापचर कुट: माना जाता है कि चापचर कुट की शुरुआत 1450-1700 ई। में सुआपुई नामक गाँव में हुई थी। यह एक वसंत त्योहार है। मिशनरी के मिजोरम में आने पर त्योहार को हतोत्साहित किया गया। इसे 1973 में पुनर्जीवित किया गया था।

मिजोरम के प्रमुख पर्यटन स्थल (Tourist Places in Mizoram)

तामदिल झील – मिज़ोरम में 4 प्रमुख झीलें हैं जिनमें से पलक दिल या पलक टीपो झील यहाँ की सबसे बड़ी झील है,जो कि सैहा जिले में स्थित है। मिज़ोरम की दूसरी प्रमुख झील तामदिल झील है जो एक प्राकृतिक झील है और आइज़ॉल से 85 किमी की दूरी पर है। सुंदर जंगलों से घिरी तामदिल झील पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। इसके बाद मिजोरम में रुंग्डिल झील यहाँ की तीसरी प्रमुख झील है। यह भी आइज़ॉल में है। मिज़ोरम की चौथी झील रेंगडिल झील है।

वैंटावंग फॉल्स – मिजोरम के खूबसूरत वादियों में शामिल वैंटावंग फॉल्स मिजोरम राज्य का सबसे ऊंचा जलप्रपात और भारत का 13 वां सबसे ऊँचा झरना है। यह जलप्रपात मिजोरम का मुख्य आकर्षण है और आइजोल से लगभग 137 किलोमीटर की दूरी पर है।

चंपई – चंपई मिजोरम राज्य के प्रमुख आकर्षण स्थलों में है। यह सुन्दर पहाड़ियों से सजा हुआ स्थान है,जो म्यांमार पहाड़ियों का शानदार दृश्य पेश करता है। इसके अलावा चंपई में तियु लुइ नामक नदी, रिहदिल झील, लियोनिहारी लुन्गलेन तलांग भी शामिल है। आप चम्पई में ट्रेकिंग का आनंद भी ले सकते हैं। यह जगह राजधानी आइजोल से 192 किमी की दूरी पर है।

 घूमने का सही समय

मिजोरम की यात्रा के लिए सर्दियों का मौसम सबसे अच्छा माना जाता हैं क्योंकि इस मौसम में पर्यटकों को किसी भी तरह की असुविधा नहीं होती हैं। हालांकि, पहाड़ी क्षेत्र में आप साल के किसी भी महीने में घूमने के लिए जा सकते है।

Related Articles

Back to top button