Swami Vivekananda Day: विवेकानंद जयंती पर मनाया जाता है राष्ट्रीय युवा दिवस

स्वामी विवेकानंद जी के जन्म दिवस (12 जनवरी) को हम राष्ट्रीय युवा दिवस (Swami Vivekananda Day) के रूप में मनाते हैं। राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) की शुरुआत भारत में 1985 में हुई थी।

Swami Vivekananda का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। आज के समय में भारत की ज्यादातर आबादी युवाओं की है और हर देश का भविष्य उसके युवाओं पर ही निर्भर होता है। नई प्रतिभा के आने से देश को न सिर्फ तरक्की मिलती है, बल्कि देश का विकास भी सही प्रकार से होता है।

कौन थे Swami Vivekananda जी

स्वामी विवेकानंद का जन्म कोलकाता में 12 जनवरी 1863 को हुआ था। इनका असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। वह वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। छोटी उम्र से ही उन्हें अध्यात्म में रुचि थी। स्वामी विवेकानंद जी पढ़ाई में अच्छे होने के बावजूद भी सिर्फ 25 साल की उम्र में अपने गुरु से प्रभावित होकर नरेंद्रनाथ ने सांसारिक मोह माया त्याग दी और सन्यासी बन गए। संन्यास लेने के बाद उनका नाम विवेकानंद पड़ा। 1881 में विवेकानंद की मुलाकात रामकृष्ण परमहंस से हुई।

Swami जी से जुड़ी रोचक बातें

वह अक्सर लोगों से एक सवाल किया करते थे कि क्या आपने भगवान को देखा है? इसका सही जवाब किसी के पास नहीं मिला। एक बार वह रामकृष्ण परमहंस से मिल और उनसे भी उन्होंने यही सवाल किया, जिस पर रामकृष्ण परमहंस जी ने जवाब दिया था, हां मुझे भगवान उतने ही स्पष्ट दिख रहे हैं, जितना की तुम दिख रहे हो, लेकिन मैं उन्हें तुमसे ज्यादा गहराई से महसूस कर पा रहा हूं।

1897 में Swami Vivekananda ने कोलकाता में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी। वहीं 1898 में गंगा नदी के किनारे बेलूर में रामकृष्ण मठ की स्थापना की।

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अमेरिका में 11 सितंबर 1893 में धर्म संसद का आयोजन हुआ, जिसमें स्वामी विवेकानंद भी शामिल हुए थे। यहां उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत हिंदी में ये कहकर की कि ‘अमेरिका के भाइयों और बहनों’। उनके भाषण पर आर्ट इंस्टीट्यूट आॅफ शिकागो में पूरे दो मिनट तक तालियां बजती रहीं। जो भारत के इतिहास में एक गर्व और सम्मान की घटना के तौर पर दर्ज हो गई।

Swami Vivekananda की जयंती पर ही क्यों मनाते हैं National Youth Day

स्वामी विवेकानंद जी धर्म, दर्शन, इतिहास, कला, सामाजिक विज्ञान, साहित्य के ज्ञाता थे। स्वामी विवेकानंद जी शिक्षा में अच्छे होने के साथ ही भारतीय शास्त्रीय संगीत का भी ज्ञान रखते थे। इसके अलावा विवेकानंद जी एक अच्छे खिलाड़ी भी थे। स्वामी विवेकानंद जी युवाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं हैं। स्वामी विवेकानंद जी ने कई मौकों पर अपने अनमोल विचारों और प्रेरणादायक वचनों से युवाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। इसीलिए स्वामी विवेकानंद जी जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) के तौर पर मनाया जाता है।

कब और कैसे हुई राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) की शुरूआत

स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन को युवाओं के लिए समर्पित करने की शुरूआत 1984 में हो गई थी। उन दिनों भारत सरकार ने कहा था कि स्वामी विवेकानंद का दर्शन, आदर्श और काम करने का तरीका भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत हो सकते हैं। तब से स्वामी विवेकानंद की जयंती को National Youth Day के तौर मनाने की घोषणा कर दी गई।

अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस (International Youth Day)

पूरी दुनिया में भी Youth Day मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर युवा दिवस को अगस्त के महीने में मनाया जाता है। 12 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र  द्वारा युवा दिवस मनाने के तौर पर चुना गया था और इस दिन विश्व में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। सबसे पहले साल 2000 में इस दिवस का आयोजन होना शुरू हुआ था, लेकिन साल 1985  में इस दिवस की घोषणा संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई थी।

स्वामी विवेकानंद से संबंधित कुछ रोचक तथ्य

  • बचपन में विवेकानंद की मां ने उनका नाम ‘वीरेश्वर’ रखा था तथा उन्हें अक्सर ‘बिली’ कहकर बुलाया जाता था। बाद में उनका नाम नरेंद्रनाथ दत्त रखा गया।
  • अपने पिता की मृत्यु के बाद स्वामी जी का जीवन गरीबी में बीता। उस समय उनकी मां और बहन को प्रत्येक दिन के भोजन के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता था। कई बार स्वामी जी दो-दो दिनों तक भूखे रहते थे ताकि परिवार के अन्य लोगों को पर्याप्त भोजन मिल सके।
  • बी.ए. की डिग्री होने के बावजूद स्वामी विवेकानंद को नौकरी की खोज में भटकना पड़ा था, जिसके कारण वे लगभग नास्तिक हो गए थे और भगवान से उनका विश्वास उठ गया था।
  • खेत्री के महाराजा अजीत सिंह गोपनीय तरीके से स्वामीजी की मां को आर्थिक सहायता के तौर पर नियमित रूप से 100 रुपए भेजते थे।
  • स्वामी जी में इतनी सादगी थी कि 1896 में तो उन्होंने लंदन में कचौरियां तक बनाई थी।
  • स्वामी विवेकानंद ने भविष्यवाणी की थी कि वे 40 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं कर सकेंगे। उनकी यह बात तब सच साबित हो गई जब 4 जुलाई 1902 को उनकी मृत्यु 39 वर्ष की उम्र में ही हो गई। उन्होंने समाधि की अवस्था में अपने प्राण त्यागे। उनके निधन की वजह तीसरी बार दिल का दौरा पड़ना था।
  • स्वामी विवेकानंद को 31 बीमारियां थी। एक बीमारी उनका निद्रा रोग से ग्रसित होना भी था।

एक बार स्वामी विवेकानंद विदेश गए जहां उनके स्वागत के लिए कई लोग आये हुए थे उन लोगों ने स्वामी विवेकानंद की तरफ हाथ मिलाने के लिए हाथ बढाया और इंग्लिश में हेलो कहा जिसके जवाब में स्वामी जी ने दोनों हाथ जोड़कर नमस्ते कहा। वहां उपस्थित लोगो को लगा कि शायद स्वामी जी को अंग्रेजी नहीं आती है अत: उनमें से एक व्यक्ति ने उनसे हिंदी में पूछा ‘आप कैसे हैं?’

तब स्वामी जी ने कहा ‘आई एम फाईन थैंक यू’ यह सुनकर सभी लोगों ने आश्चर्यचकित होकर स्वामी जी से पूछा की जब हमने आपसे इंग्लिश में बात की तो आपने हिंदी में उत्तर दिया और जब हमने हिंदी में पूछा तो आपने इंग्लिश में कहा इसका क्या कारण है? तब तब स्वामी जी ने कहा कि ‘जब आप अपनी मां का सम्मान कर रहे थे तब मैं अपनी मां का सम्मान कर रहा था और जब आपने मेरी मां का सम्मान किया तब मैंने आपकी मां का सम्मान किया।

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एक बार जब स्वामी विवेकानन्द जी विदेश गए तो उनका भगवा वस्त्र और पगड़ी देख कर लोगों ने पूछा, कि आपका बाकी सामान कहां है? इस पर स्वामी जी बोले ‘बस यही सामान है’ इस बात पर कुछ लोगों ने व्यंगय किया कि ‘अरे! यह कैसी संस्कृति है आपकी? तन पर केवल एक भगवा चादर लपेट रखी है। कोट-पतलून जैसा कुछ भी पहनावा नहीं है? इस पर स्वामी विवेकानंद ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, कि ‘हमारी संस्कृति आपकी संस्कृति से भिन्न है। आपकी संस्कृति का निर्माण आपके दर्जी करते हैं, जबकि हमारी संस्कृति का निर्माण हमारा चरित्र करता है। इसका तात्पर्य यह है कि संस्कृति का निर्माण वस्त्रों से नहीं बल्कि चरित्र के विकास से होती है।

स्वामी जी के प्रेरणादायक विचार (inspirational thoughts of swami ji)

  • जिस समय जिस काम का संकल्प करो, उस काम को उसी समय पूरा करो, वरना लोग आप पर विश्वास नहीं करेंगे।
  • जीवन में ज्यादा रिश्ते होना जरूरी नहीं हैं, बल्कि जो रिश्ते हैं उनमें जीवन होना जरूरी है।
  • दिन में एक बार खुद से जरूर बात करो, वरना आप दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति से बात करने का मौका खो देंगे।
  • दिल और दिमाग के टकराव में हमेशा अपने दिल की बात सुनो।
  • खुद को कभी कमजोर न समझो, क्योंकि ये सबसे बड़ा पाप है।
  • उठो, जागो और तब तक नहीं रुको, जब तक तुम अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर लेते।
  • जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी।
  • लोग तुम्हारी स्तुति करें या निन्दा, लक्ष्य तुम्हारे ऊपर कृपालु हो या न हो, तुम्हारा देहांत आज हो या युग में, तुम न्यायपथ से कभी भ्रष्ट न हो।

छात्रों के लिए स्वामी जी की बातें (swami ji sayings for students)

  • पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता, एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान. ध्यान से ही हम इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते हैं।
  • ज्ञान स्वयं में वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है।
  • उठो और जागो और तब तक रुको नहीं जब तक कि तमु अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते।
  • जब तक जीना, तब तक सीखना, अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।

स्वामी विवेकानंद के विचार (Thoughts of Swami Vivekananda)

स्वामी विवेकानंद का मानना था कि आप प्रभु पर तभी यकीन कर सकते हैं जब आप स्वयं पर यकीन करेंगे। यानी जिस दिन आपको खुद पर विश्वास हो जाएगा तब आप खुद ही भगवान पर भी विश्वास करना शुरू कर देंगे।

विवेकानंद जी के अनुसार व्यक्ति को तब तक मेहनत करती रहनी चाहिए जब तक जो अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच जाता। अगर कोई भी व्यक्ति अपने लक्ष्य को पाने के लिए कड़ी लगन और मेहनत करेगा, तो वो जरूरी कामयाब होगा।

उनके अनुसार, व्यक्ति को केवल उसकी आत्मा ही सिखा सकती है। आपकी आत्मा आपकी सबसे अच्छी गुरू है। आत्मा ही आपको आध्यात्मिक बना सकती है। इसलिए अपनी आत्मा की सुने।

विवेकानंद जी के मुताबिक अगर भगवान को आप अपने अंदर और दुनिया की जीवित चीजों में नहीं देख पाते, तो आप भगवान को कहीं भी नहीं देख सकते हैं।

विवेकांनद जी के विचार थे की मनुष्य का संघर्ष जितना कठिन होगा, उसकी जीत भी उतनी बड़ी होगी। यानी किसी भी चीज को पाने के लिए हर किसी को संघर्ष करना पड़ता है और जितना बड़ा आपका लक्ष्य होगा उतना बड़ा आपका संघर्ष ।

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