Vastu Shastra: कबूतर को दाना खिलायें, उसे घर में पालने की गलती न करें

Vastu Shastra: कबूतर को पालना या न पालना वास्तु पर निर्भर करता है। हालांकि जहां तक हो इसे न पालें। आप उसे दाना खिला सकते हैं , लेकिन घर में पालने की वास्तु इसे इजाजत नहीं देता।

Vastu Shastra: कबूतर को पालना या न पालना वास्तु पर निर्भर करता है। हालांकि जहां तक हो इसे न पालें। आप उसे दाना खिला सकते हैं , लेकिन घर में पालने की वास्तु इसे इजाजत नहीं देता।

कबूतर हीं नहीं तोता पालने से भी बचें

घर में कबूतर पालने की इजाजत वास्तु शास्त्र नहीं देता। वास्तु की मानें तो कबूतर घर में दुर्भाग्य लेकर आता है, जिससे परिवार की सुख-शांति खत्म होती है। हालांकि कबूतर के अलावा घर में तोता पालने से भी बचना चाहिए। हिंदू धर्म और वास्तु शास्त्रों में कई चीजों को लेकर शुभ और अशुभ माना जाता है।

यह परंपराएं आज से नहीं बल्कि सदियों से ऐसे ही चली आ रही है। माना जाता है कि कबूतर को लेकर लोगों के मन में दो मत चलते आ रहे है। वास्तु के हिसाब से कबूतर को मां लक्ष्मी का भक्त माना गया है। ऐसे में इसका घर में बहुत आना शुभ होता है वहीं कई लोगों का मानना है कि इसके घर में रहने से दुर्भाग्य बढ़ता है।

बुध और गुरु ग्रह की स्थिति होगी मजबूत

वास्तु के नियमों के अनुसार, मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए कबूतर को दाना अवश्य खिलाना चाहिए। ऐसा करने से कुंडली में गुरु और बुध की स्थिति और मजबूत होती है। इसके साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ती है।

बीमारियां देता है कबूतर

कबूतर बीमारियों को न्योता देता है। यह बात हम नहीं कहते बल्कि डॉक्टरों ने इस बात की पुष्टि की है। उनका कहना है कि कबूतर अपने साथ टिक्स और माइट्स जैसे कीड़ों को साथ लाते हैं। वहीं इनकी बीट में पाया जाने वाला Aspergillus Fungus आदमी के स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। कबूतर की बीट से कई बीमारियों का खतरा हो सकता है। एक-एख कर आपसे चर्चा करते हैं।

सरदर्द, बुखार सूखी खांसी भी होती है

कबूतर में पाये जाने वाला यह फंगल इंफेक्शन बच्चों, बुजुर्गों, अस्थमा के मरीज और कमजोर प्रतिरक्षा क्षमता वाले लोगों को और बीमार कर सकता है। इससे प्रभावित लोगों के अंदर फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं जिसमें सरदर्द, बुखार सूखी खांसी और थकान पैदा होती है।

पेशाब के रास्ते में संक्रमण हो सकता है

डॉक्टरों का कहना है कक यह फंगल इंफेक्शन आपके गले, मुंह और चमड़ी को प्रभावित करता है। इसके चलते सांस संबंधी और पेशाब के रास्ते में संक्रमण हो सकता है। वहीं इस इंफेक्शन के चलते व्यक्ति को डकार, सूजन, अपच, नींद आना, डायरिया, गैस बनना, उल्टी और अल्सर जैसी चीजों से जूझना पड़ सकता है।

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Deepak Vishwakarma

दीपक विश्वकर्मा एक अनुभवी समाचार संपादक और लेखक हैं, जिनके पास 13 वर्षों का गहरा अनुभव है। उन्होंने पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं में कार्य किया है, जिसमें समाचार लेखन, संपादन और कंटेंट निर्माण प्रमुख हैं। दीपक ने कई प्रमुख मीडिया संस्थानों में काम करते हुए संपादकीय टीमों का नेतृत्व किया और सटीक, निष्पक्ष, और प्रभावशाली खबरें तैयार कीं। वे अपनी लेखनी में समाजिक मुद्दों, राजनीति, और संस्कृति पर गहरी समझ और दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं। दीपक का उद्देश्य हमेशा गुणवत्तापूर्ण और प्रामाणिक सामग्री का निर्माण करना रहा है, जिससे लोग सच्ची और सूचनात्मक खबरें प्राप्त कर सकें। वह हमेशा मीडिया की बदलती दुनिया में नई तकनीकों और ट्रेंड्स के साथ अपने काम को बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत रहते हैं।

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