Vastu Tips: इस दिन भूलकर भी न करें भूमिपूजन वरना सुख और शांति हो जाएगी गायब
Vastu Tips: भवन निर्माण हो कुयें का निर्माण या ट्यूबवेल के जरिये बोरिंग खनन। कभी भी भूलकर आप मंगलवार को भूलकर भी जमीन पर एक भी कुदारी न चलायें। ऐसा करने से आपकी सुख और शांति गायब हो सकती है।
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Vastu Tips: उज्जवल प्रदेश डेस्क. भवन निर्माण हो कुयें का निर्माण या ट्यूबवेल के जरिये बोरिंग खनन। कभी भी भूलकर आप मंगलवार व रविवार को भूलकर भी जमीन पर एक भी कुदारी न चलायें। ऐसा करने से आपकी सुख और शांति गायब हो सकती है। ज्योतिष के अनुसार भवन निर्माण में वास्तु शास्त्र का बड़ा महत्व है। यदि वास्तु की बात करें तो मंगलवार को भूमिपूजन करने से आपकी सुख, शांति समृद्धि गायब हो सकती है।
पृथ्वी के नीचे पाताललोक है
कहते हैं कि जमीन के नीचे पाताल लोक है और इसके स्वामी शेषनाग विराजमान हैं। श्रीमद भागवत महापुराण के पांचवें स्कंद में लिखा है कि जमीन के नीचे पाताललोक है और इसके स्वामी भगवान शेषनाग है, इसलिए कभी भी, किसी भी स्थान पर नींव पूजन भूमि पूजन करते समय चांदी के नाग का जोड़ा रखते हैं।
वास्तु देव की पूजा का विधान है
विद्वानों के अनुसार वास्तु प्राप्ति के लिए अनुष्ठान, भूमि पूजन, नींव खनन, कुआं खनन और शिलान्यास, द्वार स्थापना व गृह प्रवेश कई अवसरों पर वास्तु देव की पूजा का विधान है। हम इस बात का ध्यान रखें यह पूजन किसी शुभ दिन या फिर रवि पुष्य योग को ही कराना चाहिए।
नींव पूजन का कर्मकांड इस मनोवैज्ञानिक विश्वास पर आधारित है कि जैसे शेषनाग अपने फन पर संपूर्ण पृथ्वी को धारण किए हुए हैं ठीक उसी प्रकार मेरे इस भवन की नींव भी प्रतिष्ठित किए हुए चांदी के नाग के फन पर पूर्ण मजबूती के साथ स्थापित रहे। क्योंकि शेषनाग क्षीरसागर में रहते हैं।
धन, पशु और मित्रों की वृद्धि होती है
वास्तु के अनुसार वैशाख, श्रावण, कार्तिक, मार्गशीर्ष और फाल्गुन इन चंद्रमासों में गृहारंभ शुभ होता है। इनके साथ ही चंद्रमास अशुभ होने के कारण निषिद्ध कहे गए हैं। वैशाख में गृहारंभ करने से धन और धान्य, पुत्र तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है। सावन के महीने में धन, पशु और मित्रों की वृद्धि होती है। कार्तिक में सर्वसुख। मार्गशीर्ष में सबसे उत्तम भोज्य पदार्थों और धन की प्राप्ति। फाल्गुन के महीने में गृहारंभ करने से धन तथा सुख की प्राप्ति और वंश भी बढ़ता है।
आग्नेय कोण की खुदाई करें
सबसे पहले भूमि पूजन के बाद नींव की खुदाई ईशान कोण से ही प्रारंभ करें। ईशान के बाद आग्नेय कोण की खुदाई करें। आग्नेय के बाद वायव्य कोण, वायव्य कोण के बाद नैऋ त्य कोण की पहले खुदाई करें। कोणों की खुदाई के बाद दिशा की खुदाई करें। इसके बाद ही पूर्व, उत्तर, पश्चिम और दक्षिण में क्रम से खुदाई करें।
इस तरह करें नींव की भराई
वास्तु के अनुसार नींव की भराई, नींव की खुदाई के अलग क्रम से करें। भूमिपूजन के दौरान सबसे पहले नैऋ त्य कोण की भराई करें। फिर क्रम से वायव्य, आग्नेय, ईशान की भराई करें। इसके बाद सभी दिशाओं में नींव की भराई करें। सबसे पहले दक्षिण दिशा में भराई करें। अब पश्चिम, उत्तर व पूर्व में क्रम से भराई करें।
कलश का मुख लाल कपड़े से बांधकर नींव में स्थापित करना चाहिए
ज्योतिष के अनुसार नींव पूजन में तांबे का कलश स्थापित किया जाना करें इसके बाद कलश के अंदर चांदी के सर्प का जोड़ा, लोहे की चार कील, हल्दी की पांच गांठें रखें, पान के 11 पत्ते व तुलसी की 35 पत्तियां, मिट्टी के 11 दीपक, छोटे आकार के पांच, पांच चौकोर पत्थर, शहद, जनेऊ, राम-नाम पुस्तिका, पंच रत्न, पंच धातु रखना चाहिए। समस्त सामग्री को कलश में रखकर कलश का मुख लाल कपड़े से बांधकर नींव में स्थापित करना चाहिए।
नोट: हम इन सभी बातों की पुष्टि नहीं करते। अमल करने से पहले संबंधित विषय विशेषज्ञ से संपर्क करें।